मेरा परिचय

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मिट्टी का तन, मस्ती का मन, पल भर जीवन, मेरा परिचय......


होठों पर नगमे सीने के मध्य घाव है, मेरा मेरा पूरा जीवन पीड़ा का पड़ाव है।
मुस्कानों से धोखा खा जाता हूँ अक्सर, धोखा खाकर मुस्काना मेरा स्वभाव है ..
मित्रों पर तो बेशक न्योछावर हूँ मैं पर, अपने हर दुश्मन से भी मुझको लगाव है.
युद्धों को परिणत कर लेता हूँ यज्ञों में, श्रीमद्‍भगवतगीता का मुझ पर प्रभाव है।
कंगाली में भी है अलमस्ती का आलम, ऐसी जीवनशैली ऐसा रख-रखाव है।

Meri Duniya

17 March 2012



यूँ तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी

आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया..

कल सुबह से ही शायर "शकील बँदायूनी" के ये बोल घुमर रहे थे अन्तःस्थल में
पहले त्रिवेदी जी ने फिर बाबूमोशाय ने जनता को अपने अपने अंदाज में रुलाया अब तो जैसे आदत सी हो गयी है हमे सर झुका के रोने की 
बहुत भरोसा था देश को मनमोहन जी चिदम्बरम जी और प्रणब बाबु पे लेकिन क्या मिला इस भरोसे का सबब ?

बाबा नागार्जुन ने शायद आज के दिन के लिए ही लिखा था 

बापू के भी ताऊ निकले तीनों बन्दर बापू के !
सरल सूत्र उलझाऊ निकले तीनों बन्दर बापू के !  

आज जनता को मेहेंगाई के बोझ में दबा के, नाना प्रकार के करों की जंजीर में उलझा के राजनेता अपने लिए घोटालों का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं 
लेकिन स्वार्थान्ध राजनेतागण याद रहे की ........ 

कबीर हाय गरीब की कबहु न निष्फल जाए।
मरी खाल की सांस से लौह भस्म हो जाए।। 
नागेश मिश्र 

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