मेरा परिचय

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मिट्टी का तन, मस्ती का मन, पल भर जीवन, मेरा परिचय......


होठों पर नगमे सीने के मध्य घाव है, मेरा मेरा पूरा जीवन पीड़ा का पड़ाव है।
मुस्कानों से धोखा खा जाता हूँ अक्सर, धोखा खाकर मुस्काना मेरा स्वभाव है ..
मित्रों पर तो बेशक न्योछावर हूँ मैं पर, अपने हर दुश्मन से भी मुझको लगाव है.
युद्धों को परिणत कर लेता हूँ यज्ञों में, श्रीमद्‍भगवतगीता का मुझ पर प्रभाव है।
कंगाली में भी है अलमस्ती का आलम, ऐसी जीवनशैली ऐसा रख-रखाव है।

Meri Duniya

01 August 2011

अकबर बीरबल विनोद


बादशाह अकबर के दरबार के रत्न बीरबल अत्यधिक व्यवहार-कुशल ईमानदार और विवेकबुद्धि से संपन्न इंसान थे, अपनी बुद्धि के बल पर उन्होंने अकबर बादशाह के दरबार में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। उनके ज्ञान और प्राप्त सम्मान के कारण अन्य दरबारी उनसे ईर्ष्या करते थे और अनेक बार उन्हें नीचा भी दिखाने का प्रयास भी करते थे, किंतु बीरबल अपनी हाज़िरजवाबी तथा प्रवीणता के कारण बार-बार उनके प्रहारों से बच निकलते थे।

ऐसा कहा जाता है कि कई बार बीरबल की अनुपस्थिति से दरबार सूना-सूना लगता था और बादशाह अकबर भी उदास हो जाते थे।
इन्हीं बीरबल की हाज़िरजवाबी का एक उदाहरण है प्रस्तुत पुस्तक, जिसमें बीरबल ने विभिन्न अवसरों पर अनेक समस्याओं को भी हल किया है ।

आपको यह पुस्तक कितनी रोचक लगी, इसका निर्णय तो आप ही करेंगे, बस हमें तो आपके पत्रों की प्रतीक्षा है ।

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