लक्ष्य से अनजान मैं हूँ,लस्त मन-तन-प्राण मैं हूँ,व्यस्त चलने में मगर हर वक्त मेरे पाँव मेरा भी विचित्र स्वभाव !!
सोचा करता बैठ अकेले,गत जीवन के सुख-दुख झेले,
दंशनकारी सुधियों से मैं उर के छाले सहलाता हूँ
ऐसे मैं मन बहलाता हूँ!
नहीं खोजने जाता मरहम होकर अपने प्रति अति निर्मम, उर के घावों को आँसू के खारे जल से नहलाता हूँ,
ऐसे मैं मन बहलाता हूँ !!
मेरा परिचय
- Nagesh
- मिट्टी का तन, मस्ती का मन, पल भर जीवन, मेरा परिचय......
होठों पर नगमे सीने के मध्य घाव है, मेरा मेरा पूरा जीवन पीड़ा का पड़ाव है।
मुस्कानों से धोखा खा जाता हूँ अक्सर, धोखा खाकर मुस्काना मेरा स्वभाव है ..
मित्रों पर तो बेशक न्योछावर हूँ मैं पर, अपने हर दुश्मन से भी मुझको लगाव है.
युद्धों को परिणत कर लेता हूँ यज्ञों में, श्रीमद्भगवतगीता का मुझ पर प्रभाव है।
कंगाली में भी है अलमस्ती का आलम, ऐसी जीवनशैली ऐसा रख-रखाव है।
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21 July 2011
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