मेरा परिचय

My photo
मिट्टी का तन, मस्ती का मन, पल भर जीवन, मेरा परिचय......


होठों पर नगमे सीने के मध्य घाव है, मेरा मेरा पूरा जीवन पीड़ा का पड़ाव है।
मुस्कानों से धोखा खा जाता हूँ अक्सर, धोखा खाकर मुस्काना मेरा स्वभाव है ..
मित्रों पर तो बेशक न्योछावर हूँ मैं पर, अपने हर दुश्मन से भी मुझको लगाव है.
युद्धों को परिणत कर लेता हूँ यज्ञों में, श्रीमद्‍भगवतगीता का मुझ पर प्रभाव है।
कंगाली में भी है अलमस्ती का आलम, ऐसी जीवनशैली ऐसा रख-रखाव है।

Meri Duniya

Showing posts with label Hindi Novels. Show all posts
Showing posts with label Hindi Novels. Show all posts

01 August 2011

चंद्रकांता - उपन्यास (देवकीनंदन खत्री)


चंद्रकांता उपन्यास (Chandrakanta Hindi Novel )

चंद्रकांता को एक प्रेम कथा कहा जा सकता है। इस शुद्ध लौकिक प्रेम कहानी को, दो दुश्मन राजघरानों, नवगढ और विजयगढ के बीच, प्रेम और घृणा का विरोधाभास आगे बढ़ाता है। विजयगढ की राजकुमारी चंद्रकांता और नवगढ के राजकुमार विरेन्द्र विक्रम को आपस मे प्रेम है। लेकिन राज परिवारों में दुश्मनी है। दुश्मनी का कारण है कि विजयगढ के महाराज नवगढ के राजा को अपने भाई की हत्या का जिम्मेदार मानते है। हांलांकि इसका जिम्मेदार विजयगढ का महामंत्री क्रूर सिंह है, जो चंद्रकांता से शादी करने और विजयगढ का महाराज बनने का सपना देख रहा है। राजकुमारी चंद्रकांता और राजकुमार विरेन्द्र विक्रम की प्रमुख कथा के साथ साथ ऐयार तेजसिंह तथा ऐयारा चपला की प्रेम कहानी भी चलती रहती है। कथा का अंत नौगढ़ के राजा सुरेन्द्र सिंह के पुत्र वीरेन्द्र सिंह तथा विजयगढ़ के राजा जयसिंह की पुत्री चन्द्रकांता के परिणय से होता है।

‘चन्द्रकान्ता’ (सन् 1818) को मूलत: और प्रमुखत: एक प्रेम-कथा कहा जा सकता है। चार हिस्सों में विभाजित इस उपन्यास की कथा अनायस ही हमें मध्यकालीन प्रेमाख्यानक काव्यों का स्मरण कराती है। इस प्रेम-कथा में अलौकिक और अतिप्राकृतिक तत्त्वों का प्राय: अभाव है और न ही इसे आध्यात्मिक रंग में रंगने का ही प्रयास किया गया है। यह शुद्ध लौकिक प्रेम-कहानी है, जिसमें तिलिस्मी और ऐयारी के अनेक चमत्कार पाठक को चमत्कृत करते हैं। नौगढ़ के राजा सुरेन्द्रसिंह के पुत्र वीरेन्द्रसिंह तथा विजयगढ़ के राजा जयसिंह की पुत्री चन्द्रकान्ता के प्रणय और परिणय की कथा उपन्यास की प्रमुख कथा है। इस प्रेम कथा के साथ-साथ ऐयार तेजसिंह तथा ऐयारा चपला की प्रेम- कहानी भी अनेकत्र झलकती है। विजयगढ़ के दीवान कुपथसिंह का पुत्र क्रूरसिंह इस उपन्यास का खलनायक है। वह राजकुमारी को हथियाने के लिए अनेक षड्यन्त्र रचता है।
चंद्रकांता उपन्यास को पढने के लिए हजारों लोगो ने उस समय हिन्दी सीखी थी। इस पर एक लोकप्रिय टीवी सीरियल भी बना था।

Download

अकबर बीरबल विनोद


बादशाह अकबर के दरबार के रत्न बीरबल अत्यधिक व्यवहार-कुशल ईमानदार और विवेकबुद्धि से संपन्न इंसान थे, अपनी बुद्धि के बल पर उन्होंने अकबर बादशाह के दरबार में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। उनके ज्ञान और प्राप्त सम्मान के कारण अन्य दरबारी उनसे ईर्ष्या करते थे और अनेक बार उन्हें नीचा भी दिखाने का प्रयास भी करते थे, किंतु बीरबल अपनी हाज़िरजवाबी तथा प्रवीणता के कारण बार-बार उनके प्रहारों से बच निकलते थे।

ऐसा कहा जाता है कि कई बार बीरबल की अनुपस्थिति से दरबार सूना-सूना लगता था और बादशाह अकबर भी उदास हो जाते थे।
इन्हीं बीरबल की हाज़िरजवाबी का एक उदाहरण है प्रस्तुत पुस्तक, जिसमें बीरबल ने विभिन्न अवसरों पर अनेक समस्याओं को भी हल किया है ।

आपको यह पुस्तक कितनी रोचक लगी, इसका निर्णय तो आप ही करेंगे, बस हमें तो आपके पत्रों की प्रतीक्षा है ।

Download